Saturday, March 15, 2014

होली विशेष
विदेशों में होली

होली फाल्गुन शुद्ध पूर्णिमा को पूरे भारतवर्ष में विशेष रुप से उत्तर भारत में बडे उल्हासपूर्वक मनाई जाती है। होली का दूसरा नाम हुताशनी पूर्णिमा भी है। यह त्यौहार नगर-गांवों के नागरिकों के साथ ही साथ आदिवासियों में भी बडी धूमधाम से मनाया जाता है, उनके लिए तो यह त्यौहार मानो दीपावली ही होता है। 

हंसी-खुशी, रंग, आतशबाजी, पुतले जलाना आदि विभिन्न साधन अपनाकर भारत के समान ही विश्व के लगभग सभी देशों के लोग यह रंगों का त्यौहार वर्ष के किसी ना किसी दिन अवश्य मनाते हैं। होली में मनुष्य अपनी जिस वृत्ति का प्रदर्शन करता है वह मानव स्वभाव है जिसको इस दिन के बहाने वह किसी ना किस रुप में व्यक्त करता है। जर्मन, स्वीडन, पोलैंड, रुस आदि अन्य देशों में भी होली किसी ना किसी रुप मे समारोहित करते हैं। 

चेकोस्लोवाकिया में ईस्टर पर ईसाई और मूल पेगनधर्म का मिलेजुले रुप का प्रतीक है यह त्यौहार जो शताब्दियों से लडके-लडकियों द्वारा मनाया जा रहा है। लडके लडकियों पर इत्र-पानी फैंकते हैं लेकिन लडकियां नहीं फैंकती। लडकियों को गीला करने के बाद लडके उन्हें घास के बने आभूषण तो लडकियां भी लडकों को कुछ कलापूर्ण उपहार भेंट स्वरुप देती हैं।

इंग्लैंड, फ्रांस, बेल्जियम के लोग इसे 'मूर्खो का त्यौहार" कहते हैं। राजा-रानी का चुनाव होता है और मदिरापान किया जाता है। जो लोग इस कार्यक्रम में भाग नहीं लेते उनके मुंह पर कालिख पोतकर सिर पर सिंग लगाकर मूर्ख बनाया जाकर,चिढ़ाया जाता है। शाम को उत्सव का समापन पुतला जलाकर किया जाता है। यूरोप कई शहरों में होली का त्यौहार लगभग एक सप्ताह तक चलता है। 
   
पडौसी देश नेपाल में वसंत पंचमी से ही होली का त्यौहार प्रारंभ हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग रातभर होली गीत गाते हैं। गीत गाने के पश्चात गुड और चावल का चिवडा खाते हैं। होली जलाने के भी निश्चित नियम हैं। हर गांव में होली नहीं जलाई जाती। गांव का कोई वीर यदि किसी अन्य गांव में जल रही होली से एक मशाल उठा लाए तो उस गांव में होली जलेगी परंतु, जिस गांव से होली चुराई गई है उस गांव में अगले वर्ष होलिका दहन नहीं होता। होली चुराना कोई आसान काम नहीं यदि पता चल गया कि होली चुराई जा रही है तो उस गांव के लोग खुखरियां लेकर पीछा करते हैं और चोर तेज गति से दौडनेवाले घोडे पर सवार हो भाग निकलता है। होली की चोरी गांव की प्रतिष्ठा का विषय होता है।

मलाया, जावा, सुमात्रा और हिंदचीन के देशों में भी संवत्सर पर्व की बडी धूम रहती है। वहां के रहवासी जो कि बुद्धानुयायी हैं  होली तो नहीं मनाते परंतु, इष्ट-मित्रों और पडौसियों को दावत देते हैं तथा नाच-गाना करते हैं।
बर्मा में भगवान बुद्ध के आदर प्रीत्यर्थ 'तेंच्यां" नामक पर्व मनाया जाता है। जो तीन से चार दिन तक चलता है। बर्मावासियों का विश्वास है कि भगवान बुद्ध इसी समय स्वर्गलोक से मृत्युलोक में पधारते हैं। वहां रंगों का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि इस अवधि में वे पानी से एक दूसरे को तरबतर करते रहते हैं। बर्मा के अलावा दक्षिण पूर्व के अन्य देश जैसे कम्बोडिया, लाओस थायलैंड तथा इसी प्रकार से यूनान, चीन में भी पानी का प्रयोग नववर्ष आगमन के स्वागत के रुप में किया जाता है।

इस प्रकार से यह त्यौहार हिंदुस्थान ही नहीं अपितु विश्वभर के देशों में विभिन्न नामों से समारोहित किया जाता है भले ही त्यौहार मनाने के तरीके भिन्न हों, विचित्र हों। सचमुच यह पर्व सम्पूर्ण मानवजाति का पर्व है, ऐसा भी कहा जा सकता है।

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