Thursday, September 4, 2014

अभिवंदन के विलक्षण तरीके

अभिवंदन अथवा अभिवादन की प्रथा का प्रारंभ संभवतः जब मनुष्य सभ्य, सुसंस्कृत होने लगा तब आपस में परिचित लोगों में एक दूसरे के प्रति स्नेह, आदर, आत्मीयता प्रकट करने के लिए हुआ होगा, ऐसा लगता है। जिस तरह से पूरे विश्व के भिन्न-भिन्न देशों में विभिन्न प्रकार के रीति-रिवाज, प्रथाएं, जीवन पद्धतियां, उत्सव आदि में अंतर होता है उसी प्रकार से सारे संसार में अभिवादन के तौर-तरीकों में भी अंतर होता है। हमें आश्चर्य हो सकता है किंतु अभिवादन के कई विलक्षण तरीके, प्रथाएं विश्व के विभिन्न देशों में प्रचलन में हैं। आइए, हम उन विभिन्न तरीकों, प्रथाओं पर एक दृष्टि डालें-

पश्चिमी देशों में अभिवादन चुंबन के माध्यम से किया जाता है। पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे के होठों या हाथों का चुंबन लेते हैं। मित्र गालों का तो बुजुर्ग या बडे लोग आशीर्वाद स्वरुप माथे पर चुंबन प्रदान करते हैं। पडौसी देश म्यांमार की प्रथा भी बडी अनोखी है वहां जब दो परिचित या मित्र मिलते हैं तो वे पहले हाथ जोडते हैं फिर एक दूसरे का मुंह चूमते हैं। मंगोलियनों का तरीका तो और भी अजीब है वे एक दूसरे को सूंघकर अभिवादन करते हैं। एस्कीमों में नाक से नाक रगडकर अभिवादन की प्रथा है।

इंग्लैंड में अभिवादन के लिए अपना हैट उतारकर सिर झुकाने की प्रथा है। हमारे पडौसी देश तिब्बत में भी अभिवादन करते समय अपने सिर की टोपी उतार लेते हैं परंतु, साथ ही जीभ भी बाहर निकालते हैं। अंडमान द्वीप समूह में लोग अपने मित्रों से मिलते समय लिपट-लिपटकर रोते हैं। ठीक इसी तरह अफ्रीका में भी लंबे समय बाद मिलने या बिछुडने पर लोग रोते हैं। मॉरिशस भी एक अफ्रीकी देश है परंतु, वहां फ्रेंच संस्कृति का प्रभाव बहुत अधिक है। वहां अभिवादन के समय पश्चिमी पद्धति से चुंबन आदान-प्रदान की प्रथा है। मेरे एक संबंधी वहां पदस्थ हैं वे इस रिवाज से बडे बेजार हैं परंतु, क्या करें वहां रहना है तो उनके सद्‌भाव का प्रत्युत्तर तो देना ही पडेगा वह भी सद्‌भाव से आदर दिखाते हुए तो, उनके रिवाजों को निभाना ही पडेगा भले ही आपको लाख कोफ्त महसूस होती हो। लेकिन स्पेन और इटली में अभिवादन का जो तरीका प्रचलित है वह भारत तो क्या शायद पूरे एशिया में अपनाना बडा ही महंगा साबित हो सकता है। स्पेन और इटली में युवा लडके किसी अजनबी युवती से परिचय पाने के लिए उसके कूल्हे पर चिकोटी काटते हैं और वहां की लडकियां इसका बुरा भी नहीं मानती। 

सुमात्रा द्वीप और फिलीपाइन्स द्वीप समूह के अभिवादन के तरीके तो किसी कसरत से कम नहीं लगेंगे। सुमात्रा में जब दो परिचित मिलते हैं, तो दोनों ही घुटनों के बल बैठ जाते हैं। इसके पश्चात अपने साथी का बांया पैर पहले सिर पर, फिर ललाट पर और फिर सीने पर तथा अंत में घुटनों पर रखते हैं। इस सारी प्रक्रिया के बाद दोनों कुछ देर के वास्ते जमीन पर लेट जाते हैं।  जबकि फिलीपाइन्स द्वीप समूह के लोग अभिवादन के लिए अपने कानों को छूकर दायां पैर ऊपर उठाते हैं।  घुटने टेककर नतमस्तक होना हिबू्र यानी यहूदी तरीका है। अरब तथा अन्य मुस्लिम देशों में लोग मिलते समय एक दूसरे के सीने पर हाथ रखकर परस्पर अभिवादन करते हैं। जापान के ग्रामीण भागों में रहनेवाले लोग आपस में मिलते समय अपने जूते को उतारकर सम्मान प्रकट करते हैं। रेड इंडियन (अमेरीकन) अभिवादन के समय एक दूसरे से अपना सिगार बदल लेते हैं।

हाथ मिलाकर अभिवादन करने का तरीका पूरे विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय एवं प्रचलन में है और लगभग सभी देशों में हाथ मिलाने की परंपरा बहुत लंबे समय से चली आ रही है। यह परंपरा मूलतः इंग्लैंड की है, जिसे पूरी दुनिया में पसंद भी किया गया है। म. प्र. के झाबुआ जिले के आदिवासी भी हाथ मिलाकर ही एक दूसरे का अभिवादन करते हैं साथ ही राम-राम भी कहते हैं। भारत में जनजातियों में अभिवादन के अपने अलग कई तौर-तरीके हैं जो एक अलग लेख का विषय हो सकते हैं। प्राचीनकालीन रोम में दो पक्षों में समझौता अथवा अनुबंध हो इसके लिए हस्तांदोलन किया जाता था। प्राचीन आर्य भी हाथ जोडकर अथवा आलिंगन कर या हस्तांदोलन कर अभिवादन करते थे।

हाथ मिलाना भले ही अभिवादन की एक पद्धति हो किंतु इसके भी अपने कुछ खतरे हैं। लॉर्ड मांटगूमरी को अपनी ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान इस परंपरा के दुष्परिणाम का सामना तब करना पडा जब वे लोगों से हाथ मिलाते-मिलाते अपना हाथ जख्मी कर बैठे। इसी तरह श्रीलंका की उच्चायुक्त की पत्नी के हाथ की हड्डी भोज में आए अतिथियों से हाथ मिलाते-मिलाते उतर गई थी। कुछ ऐसे ही हालातों का सामना रोम में अमेरिका की राजदूत श्रीमती क्लेयर की हुई थी जब एक रात्रिभोज में उन्हें करीब दो हजार लोगों से हाथ मिलाना पडा था। वैसे अमेरिका के राष्ट्रपति रुजवेल्ट के नाम हाथ मिलाने का रिकॉर्ड दर्ज है। जो उन्होंने एक ही दिन में आठ हजार पांचसौ लोगों से हाथ मिलाकर बनाया था।

अब तो पश्चिमी विज्ञानी भी हाथ मिलाने की प्रथा को नकारने लगे हैं। उनका कहना है कि हाथ मिलाते समय एक के हाथ के विषाणु दूसरे में प्रविष्ट हो जाते हैं। जब स्वाइन फ्लू फैला था तब हाथ मिलाना तो दूर रहा लोग अभिवादन की एक पद्धति गाल से गाल को छुआना से भी कतराने लगे थे। तब सलाह दी गई थी कि तीन से पांच फीट दूर रहकर ही अभिवादन करें।

 स्पष्ट है कि हमारी हाथ जोडकर नमस्कार या नमस्ते कहने की पद्धति ही श्रेष्ठ है। नमस्कार या नमस्ते का अपना एक अलग महत्व है जो एक अन्य लेख का विषय है। अतः रहीम के इस दोहे से इस लेख का समापन करता हूं।
 - सब को सब कोऊ करै, कै सलाम कै राम। हित रहीम तब जानिए, जब कुछ अटकै काम।। अर्थात्‌ सब एक दूसरे को सलाम और राम-राम कहकर अभिवादन तो सभी करते हैं परंतु, मित्र तो उसे ही मानिए जो समय पर काम आए।

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