Friday, August 1, 2014

मोदी पर उमडता अमेरिकी मीडिया प्रेम 

मोदी देश के एक ऐसे राजनेता हैं जो बडी तेजी से फैशन जगत के फैशन आइकॅान बनकर उभरे हैं। मोदीजी का ड्रेस सेंस काबिले तारिफ है। वे जानते हैं कि उन के शरीर और व्यक्तित्व के हिसाब से उन पर क्या फबता है, जंचता है। हिंदुस्थान के टॉप के ड्रेस डिजाइनर उनके ड्रेस डिजाइन करते हैं। वैसे मोदी कोई अकेले राजनेता-सेलेब्रिटी नहीं हैं जिनके ड्रेस सेंस और वेल ड्रेस्ड होने को सराहा गया हो और भी हैं। नेहरुजी का जैकेट भी बहुत प्रसिद्ध हुआ था। सोनिया गांधी की ट्रेडिशनल साडियों को भी खूब सराहा गया है। राजनीति पिक्चर के लीड रोल को निबाहने वाली केटरीना कैफ के रोल का इन्सपायरेशन सोनिया गांधी ही थी। 

फिल्म जगत की आख्यायिका बन चूके दिलीप कुमार इतने सलीके से कपडे पहनते थे कि उनके पुराने से पुराने सूट में भी वे प्रशंसा भी पाते और वेल ड्रेस्ड भी कहलाते थे। गुलजार भी वेल ड्रेस्ड रहनेवालों में जाने जाते हैं और उनके कपडे कोई विशेष महंगे भी नजर नहीं आते। उनका थ्रीपीस सूट में कोई चित्र भी नजर नहीं आया है लेकिन उनके वेल ड्रेस्ड होने की सराहना कई सिने तारिकाएं भी कर चूकी हैं जो उनसे प्रभावित भी रही हैं।

वेल ड्रेस्ड एवं फिट दिख रहे हैं कि नहीं यह देखने के लिए आर्मी, पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में आदमकद आईने लगे रहते हैं जिसके सामने से आते-जाते अफसर देख सकें कि उनका गणवेश सही है कि नहीं। यह वेल ड्रेस्ड होने के महत्व को दर्शाता है। वेशभूषा का अपना महत्व है इससे कोई भी इंकार कर नहीं सकता और वेशभूषा से आदमी की एक पहचान बनती है जिस प्रकार से वेल ड्रेस्ड रहना कुछ लोग पसंद करते हैं, अपनी पहचान को उससे जोडते हैं। वैसे ही अंटशंट रहने को भी कुछ लोग अपनी पहचान के रुप मेें देखना पसंद करते हैं। लालू यादव गांव का दिखने के लिए क्या नहीं करते यह सब जानते हैं। तो, कुछ लोग बुद्धिजीवी, फक्कड छाप दिखने के लिए थोडी बढ़ी हुई दाढ़ी, बिखरे बाल रख लंबा चौडा कुर्ता पहनते हैं, कंधे पर एक झोला लटकाए रखते हैं।

फिल्म जगत के लोकप्रिय संगीतकार ओ. पी. नय्यर अपने अंतिम समय तक वेल ड्रेस्ड व्यक्ति की श्रेणी में रहे। उनकी केप और छडी उनकी पहचान थे। उन्हें इन दोनो चीजों से इतना लगाव था कि उनके देहावसान के पश्चात अंतिम दर्शन के समय उनकी छडी और केप को उनके पास रखा गया था। कई सेलेब्रिटिज के साथ कुछ विशिष्ट चीजें जुडी भी रही हैं जो उनके व्यक्तित्व का अभिन्न अंग बन गई थी। जैसेकि नेहरुजी के साथ लाल गुलाब, करुणानिधि के साथ काला चश्मा, मुरारी बापू के साथ काली शाल, सावरकरजी के साथ हमेशा रहनेवाला छाता। गांधीजी के चित्र की तो धोती, काठी और चश्मे के बिना कल्पना करना भी असंभव सा लगता है।

परंतु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैशन आइकॉन बनकर जो प्रसिद्धि और प्रशंसा पाई है वह निश्चय ही अभूतपूर्व है यहां तक कि जिस अमेरिका ने सन्‌ 2005 में उनका वीजा स्थगित कर दिया था आज उसी अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने सन्‌ 2007 के बाद से पहली बार अपनी इंटरनेशनल रीलिजियस फ्रीडम रिपोर्ट में 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सभी जिक्र हटा दिए हैं। अमेरीकी मीडिया भी मोदी के कसीदे बांच रहा है। कसीद ख्वां बनते हुए 'न्यूयार्क टाईम्स" में एक लेख 'ए लीडर हू इज व्हाट ही वीयर्स" a leader who is what he wears छपा है जिसमें लिखा गया है उनके पेहराव को देखते उस पर चिंतन की गरज है। तो उससे भी बढ़कर 'वाशिंगटन पोस्ट" लिखता है मिशेल ओबामा को बाजू में रखो, दुनिया को एक नया फैशन आइकॉन मिल गया है, वह ब्लादीमीर पुतिन नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी है। यह सब पढ़कर मुझे तो ऐसा लगने लगा है कि चिंतन उनके पेहराव पर नहीं बल्कि इस बात पर होना चाहिए कि आखिर अमेरिका और उसके मीडिया का इतना मोदी प्रेम अचानक क्यों उमडा जा रहा है !  

No comments:

Post a Comment