Saturday, May 17, 2014

मोदी की ऐतिहासिक जीत का शिल्पकार संघ ही है !!

मोदी मोदी की जय जयकार आज पूरे देश में सुनाई पड रही है। मोदी के नेतृत्व में सन्‌ 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जिसकी कल्पना भी की ना जा सके ऐसी विलक्षण और अविस्मरणीय विजय प्राप्त कर एक इतिहास रच दिया है । जो लोगों को असंभव सी ही लग रही थी। लेकिन यह संभव हो गया, एक नया इतिहास बन गया। इसका श्रेय लगभग सभी लोगों ने एक मुख से नरेंद्र मोदी को ही दिया जिन्होंने इस विजय प्राप्ति के लिए अनथक प्रयास किए। इसके लिए ऐतिहासिक रैलियां-सभाएं की और जनमानस को आंदोलित कर देनेवाले धाराप्रवाह भाषणों की झडी लगा दी। इस संबंध में बहुत कुछ लिखा जा रहा है, लिखा जाता रहेगा। परंतु, इस महानायक की अभूतपूर्व विजय का असली शिल्पकार है संघ।

श्री मोहन भागवत ने सरसंघचालक पद का दायित्व सम्भालने के कुछ समय पश्चात कहा था भाजपा फिनिक्स पक्षी की तरह राख के ढ़ेर से उठ खडी होगी। तब उनका यह वाक्य बहुत चर्चा में आया था। उस समय भाजपा बुरी तरह अंतर-कलह से ग्रस्त थी। कोई किसीकी नहीं सुन रहा था। भाजपा नेताओं ने अपना संतुलन खो दिया था और विसंगत भाषण कर रहे थे, प्रलाप कर रहे थे। मुझे अच्छी तरह याद है उस समय एक पत्रकार ने अपने एक लेख में लिखा था हिंदुत्ववादी वह है जो असभ्य हो, अभद्र भाषा का प्रयोग करनेवाला, बडबोला हो। ऐसी विपरीत परिस्थिति में मोहन भागवत ने भाजपा को पटरी पर लाना तय कर कदम उठाने प्रारंभ किए। 

नितिन गडकरी जो कि नागपूर के स्वयंसेवक हैं को संघ की इच्छा पर भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। विरोधी कसमसाकर रह गए। कुछ लोगों ने भाजपा के महाराष्ट्रीकरण का आरोप लगाना शुरु किया। एक समाचार पत्र ने तो यहां तक लिखा कि यदि भाजपा को बचाना है तो उसे कोंकणस्थ ब्राह्मणों से मुक्त करो। तो, एक समाचार पत्र ने भाजपा में संगठन मंत्री और पदाधिकारियों रुप में संघ के उन प्रचारकों की सूची छापी जो ब्राह्मण हैं इस प्रकार से भाजपा किस प्रकार से ब्राह्मणवादी है यह बताने का प्रयत्न किया गया। जबकि सत्य तो यह है कि आज भाजपा में चुने हुए जनप्रतिनिधियों में सर्वाधिक पिछडे, अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग हैं और इस मोदी लहर (जिसे अभी भी कुछ लोग नकारने का दुस्साहस कर अपनी ईर्ष्या को ही प्रकट कर रहे हैं) ने जात-पात, धर्म, स्थानीयता, अगडा-पिछडा, प्रादेशिकता आदि सभी संकुचितताओं को उडाकर भाजपा जात-पात विरहित राजनीति करती है, संघ में इन भावनाओं को कोई स्थान नहीं है पर अपना ठप्पा लगा दिया है।

नितिन गडकरी अपना स्थान मजबूत कर कुछ कर दिखाते उसके पूर्व ही षडयंत्रकारियों ने अपने षडयंत्र को अंजाम दे दिया। नितिन गडकरी अपना इस्तीफा दे नागपूर वापिस लौट गए। संघ ने राजनाथ के रुप में अपने स्वयंसेवक की भाजपा के अध्यक्ष पद  पर ताजपोशी कर दी। श्री मोहन भागवत इस बात को भूले नहीं कि किस प्रकार संघ के चुने हुए अध्यक्ष की भाजपा के अंदरुनी षडयंत्रों के चलते विदाई हुई। उन्होंने अपनी पकड को और भी बढ़ाते हुए नरेंद्र मोदी को जो सन्‌ 1972 से संघ के प्रचारक थे और जिन्होंने गुजरात में भाजपा के कार्यविस्तार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था एवं अपनी गुड गव्हर्नन्स की योग्यता को गुजरात के सफलतम मुख्यमंत्री रहते सिद्ध कर चूके थे को आगे बढ़ाया, राजनाथ को उनका अनन्य सहयोगी बनाया।

पार्टी के नेताओं की महत्वाकांक्षाओं पर लगाम कसकर, अंदरुनी असंतोष, असहयोग, विरोध को कुचलते हुए भाजपा से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रुप में प्रोजेक्ट करवाया और यह संघ की दूरदर्शिता थी कि उसने मोदी को गुजरात से बाहर निकाल कर इस मुकाम तक पहुंचाया। संघ ने मोदी एवं भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलवाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। यह संघशक्ति का ही कमाल था कि पूरे चुनाव में किसीकी भी हिम्मत भीतरघात करने की नहीं हुई। थोडी बहुत जानेअनजाने जो बयानबाजी हुई उसका भी समय रहते पार्टी और मोदी से खंडन करवा कर कोई विवाद उभरने के पूर्व ही शांत कर दिया गया। श्री भागवत ने यहां तक घोषणा कर दी कि प्रधानमंत्री बनेंगे तो मोदी ही बनेंगे वरना विपक्ष में बैठेंगे।

संघ के कार्यकर्ता संघ की कार्यपद्धति के अनुसार चुपचाप जुट गए, घर-घर पीले चावल लेकर गए बिना किसी दल का नाम लिए हिंदूजनजागरण के लिए पत्रक बांटे। जनता से अनिवार्य रुप से जाकर मतदान करने का आग्रह किया। इसीका परिणाम है कि मतदान का प्रतिशत बढ़ा और वह मोदी के ही पक्ष में गया। कई कार्यकर्ता सोशल साइट्‌स के प्रभाव को जानते थे इसलिए वे भी लंबे समय से भाजपा फिर मोदी के पक्ष वातावरण बनाने में जुटे गए थे। जिस प्रकार से गांधीजी ने आजादी की लडाई को जनआंदोलन में तब्दील कर दिया था उसी तर्ज पर संघ ने जनता को सुशासन, भ्रष्टाचार और कांग्रेस मुक्त भारत के मुद्दे पर आंदोलित कर दिया। पूरा देश मोदी-मोदी करने लगा और अंततः अद्‌भुत, अभूतपूर्व ऐतिहासिक विजय भाजपा को हासिल हुई। और पहली बार संघ का एक प्रचारक-स्वयंसेवक संघ के बलबूते स्वयं के पूर्ण बहुमत के साथ प्रधानमंत्री के पद पर आसीन होने जा रहा है।



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